पहाड़ों का हाल बयां है पानी में
नदियों की ताल की आवाज पानी में
पक्षियों की चहक , फूलो की महक है पानी में
हर व्यक्ति की तलाश है पानी में
जीने का आयाम है पानी में
पानी दरिया से बहता हुवा
पहुंच जाता समुंद्र के सीने में
सन्नाटे की मरम्मत की आवाज पानी में
कलह कलह बहता पानी मिल जाता है खारे पानी में
चलते चलते रुक कर चलना
पानी सीखता हैं यही तो मज़ा हैं जीने में
Poet: - Raj Singh Bhati @Poetriesway
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