कर्म ही धर्म है - Kriti Lohani


कर्म ही धर्म है - Kriti Lohani 



 ना चाह कर भी वो करना पड़ता है, 

जो हमने जिंदगी में कभी ना करना चाहते, 

सच तो कभी जुबां पर आता ही नहीं, 

पर सच छुपाने के लिए जाने कितने झूठ बोलते, 


हम जिसे चाहते हैं वह कभी हमारा नहीं होता, 

और हमें जो चाहता है हम उसके भी नहीं होते, 

हमेशा दोष जिंदगी को देते, पर इसका क्या दोष, 

जब हमने ही गलत राह चुनी हो,

 

सुख-दुख लाना हमारे बस में नहीं, 

इसे ऊपर वाले पर छोड़ देना चाहिए, 

सिर्फ मांगने से ही सब कुछ मिल जाता तो, 

दुनिया में "मेहनत" नाम ही नहीं होता


presents by poetriesway

Shared by Raj Singh Bhati