यह मानवता है - Raj Singh Bhati






मानवता मानव का वस्त्र उसी तरह है जैसे सूरज के लिए सवेरा है चांद के लिए चांदनी है ।
मानव चाहे कितना भी शक्तिमान हो या बुद्धिमान हो, अगर उसके जीवन में राह सार्थक नहीं है है तो उसका जीवन सार्थक नहीं है।
जीवन में प्यार और उसे लोगों में बांटना ही मानव में मानवता का प्रतीक है।
मानवता ना जात है, ना मोह है, ना ही मूल्यवान कोई वस्तु है मानवता एक अमूल्य और अनमोल पारस सा गहना है, जो एक व्यक्ति को स्वर्णिम बनाती है।
याची-सी (यह अच्छी है) आदत है यह, जो कभी करुणा को प्रदर्शित करती है तो कभी प्यार को सब में बांटती है जिसका उद्देश्य केवल जनकल्याण में सर्वोच्च है।
यह वह हथियार है जिसमें ना शस्त्र है ना ही कोई माया है, इसका असर तेज धार-सा है, जो बड़े निर्दयी ह्रदय को छल्ली करता है।

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